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हमे नशा तिरंगें कीं आंन का हे, कुछ नशाँ मातृभूमि कीं शांन का हे लहरायेगें यें तिरंगां, नशा ये भारत माँ के शांन का हे !!

मुझे न तन चाहिए न मन चाहिए अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिन्दा रहू इस मातृभूमि के लिए और मरु तो तिरंगा कफन चाहियें !!

जिन्दगीं तो अपनें दम पर जी जाती हे दुसरों के कन्धो पर तों सिर्फं जनाजे निकालें जाते है